◆||#क्राइम_सीन||◆
जज:- इंस्पेक्टर तुमने अपराधियो को गोली क्यों मारी.?
इंस्पेक्टर:- साहब हम क्राइम सीन रिक्रिएट करने के लिए लेकर आ रहे थे, तभी उन्होंने हमारे सिपाही को धक्का देकर उससे चाबी ले ली, औऱ वैन का पिछला दरवाजा खोल कर भागने लगे, हमने उन्हें रुकने को बोला वे नही रुके, फिर हमने हवा में गोली चलाई वे फिर भी नही रुके, फिर हमने पैर में गोली चलाई वे फिर भी नही रुके, तो हमने उनकी पीठ में धीरे से गोली चलाई जो पहले तो उसके पीछे जाकर खड़ी हुई और फिर बोली:- "हम घुस रहे है।" साहब अपराधी फिर न रुके तो गोली नही मानी, हमने रफ्ता वा हवाला रपट नम्बर (21) के हवाले से गोली को वापस आने का हुक्म दिया, पर गोली ने अनुशासन का पालन नही किया और धाँय से अंदर घुस के फट गई वा तहरीर शुरू होने से पहले बन्द शुदा की रपट लिखवा दी गई।
जज:- ये क्या बकवास है.? ये कोई 90 के दशक की फ़िल्म चल रही है.?
इंस्पेक्टर:- साहब फ़िल्म होगी आपके लिए हमारी तो रोजी रोटी है, हमारे ही आइडिया पर तो फिल्मे बनती थी, अब देखिए ना "गर्व" फ़िल्म में विलेन के एक संवाद" ना बन्दा ना बन्दे की जात..." को हीरो सलमान ने उसी के खिलाफ इस्तेमाल किया था।
जज:- जस्ट शट अप, ये सब प्रूव कैसे करोगे.?
इंस्पेक्टर:- साहब, पुलिस पर तो इन्क्वारी होती ही रहती है, आप सजा देंगे हमे मंजूर है, पर फिर किसी ने इस देश की बेटी के साथ ऐसी हरकत की तो, यही होगा।